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हिंदी कहानियां - भाग 124

एक दिन अकबर के दरबार में एक अरब व्यापारी अपने घोड़े के साथ पहुंचा। उसके पास हर उम्र और हर किस्म के घोड़े थे।


अकबर ने उनमें से कुछ घोड़े चुने और उनका दाम देकर व्यापारी को अरब से कुछ उम्दा घोड़े लाने को कहा।

व्यापारी राजी हो गया और बादशाह से दो लाख रूपये पेशगी के तौर पर मांगे। अकबर ने तुरंत खजांची को रकम देने का हुक्म दिया तथा व्यापारी जल्दी ही वापिस आने का वायदा कर पैसे लेकर चला गया।

कुछ समय बाद अकबर ने बीरबल को मूर्खों की एक सूची तैयार करने को कहा।

बीरबल ने उत्तर दिया, बादशाह सलामत वह तो मैंने पहले ही तैयार कर ली है।

अकबर सूची में सबसे ऊपर अपना नाम देखकर क्रोधित हुए और बीरबल पर चिल्लाकर बोले तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस सूची में बादशाह का नाम सबसे ऊपर रखने की ?

बीरबल ने उत्तर दिया, बादशाह आपने पिछले सप्ताह व्यापारी को दो लाख रूपये बिना सोचे समझे दे दिये, क्या पता वह व्यापारी घोड़े लेकर आयेगा या नहीं ?

इसलिए मैंने इस सूची में आपका नाम सबसे ऊपर लिखा।

अकबर ने कहा और अगर व्यापारी घोड़े लेकर आ जाता है तो, तब मैं आपके नाम की जगह उसका नाम डाल दूंगा।

अकबर को महसूस हुआ कि उन्होंने व्यापारी को पेशगी रकम देकर गलती की है और वे चुप रहे।

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